Tuesday 19 August 2014

(5.1.1) Sat Vachan (Seven Vows) in Hindu Marriage in Hindi



Saat Vachan (Seven Vows in Hindu Marriage) in Hindi  / हिन्दू विवाह में सात वचन (हिन्दी में)
( For English Translation CLICK HERE)
हिन्दू संस्कृति में विवाह संस्कार, सौलह संस्कारों में से एक है। विवाह के दौरान कई क्रियायें (रस्म ) होती हैं। सभी का अपना -अपना महत्व है। सात  वचन भी विवाह की  महत्वपूर्ण रस्म है।
समस्त पूजन , मधुपर्क , लाजाहोम तथा सप्तपदी हो जाने पर भी जब तक कन्या वर के बाँए अंग में ( बाँयी तरफ) आ कर नहीं बैठती है , तब तक वह कुमारी ही कहलाती है।
लेकिन जब तक वर कन्या के सात  वचन  स्वीकार नहीं करता तब तक कन्या वर के वांम अंग नहीं आती है,अत: वर कन्या से आग्रह करता है, "हे प्रिये , स्त्रियों की स्थिति पुरुष के वांम  भाग में मानी जाती  है। तुम्हारे भाई , मामा , माता - पिता की सहमति  से मेरे साथ तुम्हारा विवाह हुआ है। तुम उठो और मेरे बांये अंग में(बाँयी तरफ) बैठो और यदि मन में कोई विचार हो तो मुझे कहो।"
तब कन्या वामांग आने के लिए सात वचन मांगती है -

1. यदि आप किसी प्रकार के पुण्य कार्य करो , तीर्थ यात्रा जाओ , किसी व्रत का उद्यापन करो और दान आदि करो, तो आप मेरे को साथ लेकर करें, तो मैं आप के वांम  भाग में आऊं।
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2. जिस प्रकार  आप अपने माता पिता का आदर करते हो उसी प्रकार मेरे माता पिता का आदर करो और अपने कुटुम्ब  की मर्यादा के अनुसार धार्मिक कार्य करते हुए ईश्वर  के भक्त बने रहो, तो मैं आप के  बांये भाग में आऊं।
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3. आप को अपनी युवावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक कुटुम्ब का पालन पोषण करना चाहिए। कुटुंब के पालन - पोषण के साथ -साथ पशुओं का भी परिपालन करो, तो मैं आपके बांये भाग में आ सकती हूँ।
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4. गृहस्थ के लिए सुख तथा दुःख तो कर्मानुसार आते ही रहते हैं किन्तु आप सदा धैर्य धारण करने वाले वीर व प्रतापी बनें। आप आमदनी तथा खर्चे का ध्यान रखकर और घर को देखकर चलें, तो मैं आप के बांये भाग में आ सकती हूँ।
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5. अपने घर के कार्यों में , व्यवहार , लेन  - देन या सगाई  विवाह के कार्यों में , आमदनी और खर्च करते समय यदि आप मेरी भी सलाह लें, तो मैं आप के बांये भाग में आ सकती हूँ।
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6. यदि मैं मेरी सखियों के साथ या अन्य स्त्रियों के साथ बैठी होऊं तब वहाँ आप मेरा अपमान न करें, तो मैं  आप के बांये भाग में आ सकती हूँ।
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7. आप अन्य स्त्रियों  को माता के समान समझें और मुझ पर ही सदा प्रेम बनाये रखें और क्रोध नहीं करें,  तो  मैं आप के बांये भाग में आना स्वीकार कर सकती हूँ।
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तत्पश्चात वर भी एक वचन मांगता है -
हे प्रिये ,यदि  तुम मेरी सलाह के अनुसार चलो , मेरे प्रति विश्वास पात्र बनी रहो,मुझसे वार्तालाप करते समय मधुर वचनों का प्रयोग करो, गृहस्थी संबंधी गतिविधियों और जिम्मेदारियों में सहायक की भूमिका निभाओ। इन बातों के  साथ ही सुशील, मधुर भाषिणी हो कर सास ससुर की सेवा करो और पतिव्रतादि धर्म युक्त , ईश्वर  भक्ति परायण रहती हुई आज्ञा  का पालन करती रहो, तो तुम मेरे वाम भाग में  आओ,  मैं तुम्हारा स्वागत करता हूँ।
विशेष :- विवाह संस्कार में सात फेरे ,सप्तपदी तथा सात वचन तीनों अलग अलग रस्में हैं।तीनों में से पहले फेरे होतें हैं, फिर सप्तपदी और इसके बाद कन्या सात वचन माँगती है।